
अजो अपि सन्नव्यायात्मा भूतानामिश्वरोमपि सन ।
प्रकृतिं स्वामधिष्ठाय संभवाम्यात्ममायया ॥
अर्थ –
श्री कृष्ण जी कहते हैं कि हे पार्थ, मैं एक अजन्मी तथा कभी ना नष्ट होने वाली आत्मा हूँ| इस समस्त प्रकृति को मैं ही संचालित करता हूँ, इस समस्त सृष्टि का स्वामी भी मैं ही हूँ| मैं योग माया से इस धरती पर प्रकट होता हूँ|
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.