Geeta Updesh
योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय |सिद्धयसिद्धयोः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते || अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन सफलता और असफलता की आसक्ति को त्यागकर सम्पूर्ण भाव से समभाव होकर अपने कर्म को करो| यही समता की भावना योग कहलाती है| Rate this postRead Full Quote