जीतने वाले अलग चीजें नहीं
जीतने वाले अलग चीजें नहीं करते, वो चीजों को अलग तरह से करते हैं| Rate this postRead Full Quote
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आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते पर आप अपनी आदते बदल सकते है और निश्चित रूप से आपकी आदते आपका भविष्य बदल देगी। Rate this postRead Full Quote
वर्तमान को सबसे बेहतरीन पल बनाओ क्योंकि वो वापिस नही आता। Rate this postRead Full Quote
अच्छे काम करते रहिए, चाहे लोग तारीफ करें या ना करें, आधी से ज्यादा दुनिया सोती रहती है, तब भी सूरज निकलता है। Rate this postRead Full Quote
नसीब जिनके ऊंचे और मस्त होते है, इम्तिहान भी उनके जबरदस्त होते है।” Rate this postRead Full Quote
सफलता,असफलता की संभावनाओ के आकलन में समय नष्ट न करे, लक्ष्य निर्धारित करे और कार्य आरम्भ करे। Rate this postRead Full Quote
अगर आप दुनिया से अपने लिए सर्वश्रेष्ठ पाना चाहते है, तो आपको दुनिया की अपना सर्वश्रेष्ठ देना भी होगा। Rate this postRead Full Quote
कोई काम कितना ही कठिन क्यों न हो, जिद और दृढ विश्वास से जरुर पूरा किया जा सकता है। Rate this postRead Full Quote
कोई भी पीछे जाकर नई शुरुवात नहीं कर सकता, पर हम सभी नई शुरुवात कर बेहतर अंत कर सकते है ! Rate this postRead Full Quote
हमारी विशालता कभी भी न गिरने में नहीं, बल्कि हर बार गिरने पर फिर उठने में नहित होती है। Rate this postRead Full Quote
ऊंचाई की और बढ़े तो कभी भी साथियों की उपेक्षा न करे, नीचे की और जाते समय यही साथी आपकी मदद करेंगे। Rate this postRead Full Quote
जीवन वह नही है जिसकी आप चाहत रखते है, अपितु यह तो वैसा बन जाता है, जैसा आप इसे बनाते है। Rate this postRead Full Quote
जब तक आप जो कर रहे है उसे पसंद नहीं करते तब तक आप सफलता नहीं पा सकते। Rate this postRead Full Quote
जब दुनिया यह कहती है कि हार मान लो, तब आशा धीरे से कान में कहती है कि एक बार फिर से प्रयास करो। Rate this postRead Full Quote
हमारी समस्या का समाधान केवल हमारे पास है दूसरों के पास तो केवल सुझाव है। Rate this postRead Full Quote
उम्मीदों से बंधा एक जिद्दी परिंदा है इंसान जो घायल भी उम्मीदों से है और जिंदा भी उम्मीदों पर है। Rate this postRead Full Quote
तुम पानी जैसे बनो जो अपना रास्ता खुद बनाता है, पत्थर जैसे ना बनो जो दूसरों का भी रास्ता रोक लेता है। Rate this postRead Full Quote
हर दिन अच्छा हो जरूरी नहीं है, लेकिन हर दिन कुछ अच्छा जरूर होता है। Rate this postRead Full Quote
अपनी उर्जा को चिंता करने में खत्म करने से बेहतर है, इसका उपयोग समाधान ढूंढने में किया जाए। Rate this postRead Full Quote
योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय |सिद्धयसिद्धयोः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते || अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन सफलता और असफलता की आसक्ति को त्यागकर सम्पूर्ण भाव से समभाव होकर अपने कर्म को करो| यही समता की भावना योग कहलाती है| Rate this postRead Full Quote
उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्।आत्मैं ह्यात्मनों बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः ॥ अर्थ – भगवान कृष्ण जी अर्जुन को बताते हैं कि हे अर्जुन, ये आत्मा ही आत्मा का सबसे प्रिय मित्र है और आत्मा ही आत्मा का परम शत्रु भी है इसलिए आत्मा का उद्धार करना चाहिए, विनाश नहीं| जिस व्यक्ति ने आत्मज्ञान से इसRead Full Quote
त्रिभिर्गुण मयै र्भावैरेभिः सर्वमिदं जगत।मोहितं नाभि जानाति मामेभ्य परमव्ययम् ॥ अर्थ – भगवान श्री कृष्ण जी अर्जुन से कहते हैं कि हे पार्थ! सत्व गुण, रजोगुण और तमोगुण, सारा संसार इन तीन गुणों पर ही मोहित रहता है| सभी इन गुणों की इच्छा करते हैं लेकिन मैं (परमात्मा) इन सभीRead Full Quote
प्रकृतिम स्वामवष्टभ्य विसृजामि पुन: पुन: ।भूतग्राममिमं कृत्स्नमवशम प्रकृतेर्वशात॥ अर्थ – गीता के चौथे अध्याय और छठे श्लोक में श्री कृष्ण जी कहते हैं कि इस समस्त प्रकृति को अपने वश में करके यहाँ मौजूद समस्त जीवों को उनके कर्मों के अनुसार मैं बारम्बार रचता हूँ और जन्म देता हूँ| RateRead Full Quote
प्रकृतेः क्रियमाणानि गुणैः कर्माणि सर्वशः ।अहंकारविमूढात्मा कर्ताहमिति मन्यते ॥ अर्थ – श्री कृष्ण जी कहते हैं कि हे पार्थ, इस संसार में समस्त कर्म प्रकर्ति के गुणों द्वारा ही किये जाते हैं| जो मनुष्य सोचता है कि “मैं कर्ता हूँ” उसका अन्तःकरण अहंकार से भर जाता है| ऐसी मनुष्य अज्ञानीRead Full Quote
पिताहमस्य जगतो माता धाता पितामहः ।वेद्यं पवित्रमोङ्कार ऋक्साम यजुरेव च ॥ अर्थ – श्री कृष्ण अर्जुन जी से कहते हैं कि इस समस्त संसार का धाता अर्थात धारण करने वाला, समस्त कर्मों का फल देने वाला, माता, पितामह या पिता , ओंकार, जानने योग्य और ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद भी मैंRead Full Quote
परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्।धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥ अर्थ – श्री कृष्ण जी कहते हैं कि हे अर्जुन, साधू और संत पुरुषों की रक्षा के लिये, दुष्कर्मियों के विनाश के लिये और धर्म की स्थापना हेतु मैं युगों युगों से धरती पर जन्म लेता आया हूँ| Rate this postRead Full Quote
न मे पार्थास्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किंचन ।नानवाप्तमवाप्तव्यं वर्त एव च कर्मणि ॥ अर्थ – श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन, तीनों लोकों में ना ही मेरा कोई कर्तव्य है और ना ही कुछ मेरे लिए प्राप्त करने योग्य अप्राप्त है परन्तु फिर भी मैं कर्म को ही बरतताRead Full Quote
न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत् ।कार्यते ह्यवशः कर्म सर्वः प्रकृतिजैर्गुणैः ॥ अर्थ – ये निश्चित है कि कोई भी मनुष्य, किसी भी समय में बिना कर्म किये हुए क्षणमात्र भी नहीं रह सकता है | समस्त जीव और मनुष्य समुदाय को प्रकृति द्वारा कर्म करने पर बाध्य किया जाता है|Read Full Quote
न चैतद्विद्मः कतरन्नो गरियो यद्वा जयेम यदि वा नो जयेयु: |यानेव हत्वा न जिजीविषाम- स्तेSवस्थिताः प्रमुखे धार्तराष्ट्राः || अर्थ – अर्जुन कहते हैं कि मुझे तो यह भी नहीं पता कि क्या उचित है और क्या नहीं – हम उनसे जीतना चाहते हैं या उनके द्वारा जीते जाना चाहते हैं|Read Full Quote
कर्मजं बुद्धियुक्ता हि फलं त्यक्त्वा मनीषिणः |जन्मबन्धविनिर्मुक्ताः पदं गच्छन्त्यनामयम् || अर्थ – श्री कृष्ण जी कहते हैं कि हे अर्जुन, ईश्वरभक्ति में स्वयं को लीन करके बड़े बड़े ऋषि व मुनि खुद को इस भौतिक संसार के कर्म और फल के बंधनों से मुक्त कर लेते हैं| इस तरह उन्हेंRead Full Quote
गतिर्भर्ता प्रभुः साक्षी निवासः शरणं सुहृत् ।प्रभवः प्रलयः स्थानं निधानं बीजमव्ययम्॥ अर्थ – श्री कृष्ण जी कहते हैं कि हे पार्थ, इस समस्त संसार में प्राप्त होने योग्य, समस्त जग का स्वामी, सबका पोषण कर्ता, शुभाशुभ को देखने वाला, प्रत्युपकार की चाह किये बिना हित करने वाला, सबकी उत्पत्ति वRead Full Quote
दुरेण ह्यवरं कर्म बुद्धियोगाद्धञ्जयबुद्धौ शरणमन्विच्छ कृपणाः फलहेतवः || अर्थ – श्री कृष्ण जी अर्जुन से कहते हैं कि हे पार्थ अपनी योग,बुद्धि और चैतन्य द्वारा निंदनीय कर्मों से दूर रहो और समभाव से भगवान की शरण को प्राप्त हो जाओ| जो व्यक्ति अपने सकर्मो के फल को भोगने के अभिलाषीRead Full Quote
बहूनि में व्यतीतानि जन्मानि तव चार्जुन।तान्यहं वेद सर्वाणि न त्वं वेत्थ परंतप॥ अर्थ – श्री कृष्ण जी कहते हैं कि हे अर्जुन, हमारा यही केवल एक जन्म नहीं है बल्कि पहले भी हमारे हजारों जन्म हो चुके हैं, तुम्हारे भी और मेरे भी परन्तु मुझे सभी जन्मों का ज्ञान है,Read Full Quote
अनाश्रित: कर्मफलम कार्यम कर्म करोति य:।स: संन्यासी च योगी न निरग्निर्ना चाक्रिया:।। अर्थ – श्री कृष्ण जी कहते हैं कि हे अर्जुन, जोभी भी मनुष्य बिना कर्मफल की इच्छा किये हुए कर्म करता है व अपना दायित्व मानकर सत्कर्म करता है वही मनुष्य योगी है और जो मनुष्य सत्कर्म नहींRead Full Quote
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