दुनिया हर पत्थर के जज़्बात नहीं समझती,
दिल में जो छुपी है वो बात नहीं समझती ,
चाँद तनहा है तारों की बारात में ,
मगर दर्द ये चाँद का ज़ालिम रात नहीं समझती ||

चेहरे की हँसी से हर ग़म छुपाओ ,
बहुत कुछ बोलो पर कुछ न बताओ ,
खुद न रूठो कभी पर सबको मनाओ ,
ये राज है जिंदगी का कि बस जीते जाओ ||
उनकी चाहत से इकरार न करते ,
उनकी कस्मों का ऐतबार न करते ,
अगर पता होता हम सिर्फ मज़ाक हैं उनके लिए ,
कसम से जान दे देते पर प्यार न करते ||

मोहोब्बत करो तो धोखा न देना ,
प्यार को आँसुंओं का तोहफा न देना ,
दिल से रोये कोई आपकी याद में ,
ऐसा कभी किसी को मौका न देना ||

प्यार में किसी को खोना भी जिंदगी है ,
ज़िन्दगी में ग़मों का होना भी ज़रूरी है ,
यूँ तो रहती है हमारे होंठों पर मुस्कराहट ,
पर छुप कर किसी के लिए रोना भी जिंदगी है ||

सजा ये हमें कैसी मिली दिल लगाने की ,
रो रहे हैं मगर तमन्ना है मुस्कुराने की ,
अपना दर्द किसे दिखाऊँ ए दोस्त ,
दर्द भी उसने दिया जो वजह थी मुस्कुराने की ||
ज़रा सी जिंदगी है अरमान बहुत हैं ,
हमदर्द नहीं कोई इंसान बहुत हैं ,
दिल का दर्द सुनाएं तो सुनाएं किसको ,
जो दिल के करीब हैं वो अनजान बहुत हैं ||

न साथ है किसी का न सहारा है कोई
न हम हैं किसी के न हमारा है कोई ||
निकलता चाँद सबको पसंद आता है ,
डूबता सूरज कौन देखना चाहता है ,
टूटता तारा सबकी दुआ पूरी करता है ,
क्योंकि उसे टूटने का दर्द मालूम होता है ||

फिर से तेरी महफ़िल में चला आया हूँ ,
अंदाज वही है बस अलफ़ाज़ नए लाया हूँ ||

बहुत दूर मगर फिर भी पास रहते हो ,
आंखों से दूर मगर दिल के पास रहते हो,
मुझे बस इतना बता दो ए सनम ,
क्या तुम भी मेरे बिन उदास रहते हो ||

वो हमसे अपनी मर्जी से बात करते हैं ,
और हम पागल उनकी मर्जी का इंतज़ार करते हैं ||
गिरते रहे हम सजदों में हसरत ए इश्क़ की खातिर ,
अगर इबादत ए खुदा में गिरे होते तो जिंदगी जन्नत होती ||

याद करते हैं तुम्हे तन्हाई में,
दिल डूबा है ग़मों की गहराई में ,
हमें मत ढूंढ़ना दुनिया की महफ़िल में ,
हम मिलेंगे तुम्हे तुम्हारी ही परछाई में ||
धोखा फरेब सब जमींन में रह गए ,
हम प्यार का हक़ अदा करने में रह गए ,
जो साथ चले थे वो आगे निकल गए ,
हम रस्ते के पत्थर हटाने में रह गए ||

मेरे दिल का दर्द किसने देखा है ,
मुझे बस खुदा ने तड़पते देखा है ,
हम तो तन्हाई में बैठे रोते हैं ,
लोगों ने हमें महफ़िलों में हॅसते देखा है ||

हमारी दास्तान उसे कहाँ क़ुबूल थी ,
मेरी वफ़ाइयाँ उसके लिए फ़िज़ूल थी ,
कोई आस नहीं लेकिन इतना बता दो ,
मेने चाहा उसे क्या ये मेरी भूल थी ||

दिल की ख्वाइश को नाम क्या दूँ ,
प्यार का उसे पैगाम क्या दूँ ,
इस दिल में दर्द नहीं यादें हैं उसकी ,
अब यादें ही मुझे दर्द दें तो उसे इलज़ाम क्या दूँ ||
सोच रहा हूँ कुछ लिखूं ,
लेकिन क्या पैगाम लिखूं ,
तुझ बिन काटी वो रात लिखूं ,
या साथ गुजारी शाम लिखूं ||

कितने तोहफे देती है ये कम्बख्त मोहोब्बत भी ,
रुसवाई अलग , जुदाई अलग ,तन्हाई अलग ||
तुमसे दूर जाने का इरादा न था ,
सदा साथ रहेंगे ये वादा भी न था ,
तुम याद न करोगे ये जानते थे हम ,
पर इतनी जल्दी भूल जाओगे अंदाजा न था ||

सब ने चाहा कि उसे हम न मिलें ,
हम ने चाहा कि उसे गम न मिले ,
अगर ख़ुशी मिलती है उसे हमसे जुदा हो कर ,
तो दुआ है खुदा से कि उसे हम फिर न मिलें ||

मुझ को रुला कर वो भी रोया तो होगा ,
मुँह आंसुओं से उसने भी धोया तो होगा ,
अगर न किया है कुछ हांसिल हमने प्यार में ,
कुछ न कुछ उसने भी खोया तो होगा ||